जाने भी दो यारों: वो कल्ट क्लासिक फ़िल्म जिसने डार्क कॉमेडी का चलन स्टार्ट किया
साल 1983 की और हिट फ़िल्मों की तलाश करेंगे तो आपको श्रीदेवी की ‘हिम्मतवाला सनी देओल और अमृता सिंह नकी ‘बेताब’ जैकी श्रॉफ की ‘हीरो’ अंधा कानून’, ‘मवाली’, ‘अवतार’, ‘सौतन’ और ‘अगर तुम ना होते’ जैसी फ़िल्में मिल जाएंगी, लेकिन, नहीं मिलेगी तो सिर्फ़ वो फ़िल्म जो रिलीज़ होते ही सिनेमाघरों से उतर गई थी.
वो फिल्म है कल्ट क्लासिक जाने भी दो यारों इस फिल्म मे कॉमेडी, ड्रामा, सस्पेंस और सटायर, इस फ़िल्म में वो सब कुछ था जो एक बेहतरीन फ़िल्म के लिए चाहिए होता है. जाने भी दो यारों’ फ़िल्म भले ही बॉक्स ऑफ़िस पर कुछ ख़ास कमाल तो नहीं दिखा सकी, लेकिन टीवी, वीसीआर, सीडी और डीवीडी प्लेरयर पर फ़िल्म को दर्शकों द्वारा काफ़ी देखा गया.

ये आज भी हिंदी सिनेमा की सबसे बेहतरीन फ़िल्मों में शुमार है. इस फ़िल्म में न तो कोई बड़ा स्टार था, न ही उस दौर का कोई जाना पहचाना चेहरा. बावजूद इसके ‘जाने भी दो यारों’ सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी बेहतरीन कहानी, शानदार स्क्रीनप्ले और ज़बरदस्त एक्टिंग के लिए जानी जाती है.
इस फ़िल्म को ‘नेशनल फ़िल्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया’ ने प्रोड्यूस किया था. इसके निर्देशक कुंदन शाह थे, ये उनकी पहली फ़िल्म थी. ‘जाने भी दो यारों’ फ़िल्म में निर्देशक कुंदन शाह ने सिस्टम में फ़ैले भ्रष्टाचार को ‘व्यंगात्मक लहज़े’ में दिखाने की कोशिश की थी.
फ़िल्म में नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, पंकज कपूर, सतीश कौशिक, नीना गुप्ता और रवि बासवानी जैसे दिग्गज कलाकार थे.
ये कहानी थी 2 ईमानदार फोटोग्राफर्स की

इस फ़िल्म की कहानी विनोद चोपड़ा (नसीरुद्दीन शाह) और सुधीर मिश्रा (रवि वासवानी) नाम के दो भोले-भाले ईमानदार फ़ोटोग्राफ़रों के इर्द गिर्द घूमती है. ये दोनों एक अखबार के लिए काम कर करते हैं. एक दिन अनजाने में उनके कैमरे में एक कत्ल क़ैद हो जाता है.

असली कातिल को पकड़ने के चक्कर में ये दोनों करप्शन की राजनीति के शिकार हो जाते हैं. वो जितना इससे निकलने की कोशिश करते हैं, उतना ही और अंदर धंसते जाते हैं. निर्देशक कुंदन शाह ने सुधीर मिश्रा के साथ मिलकर फ़िल्म की कहानी भी ख़ुद ही लिखी थी. कुंदन शाह ने इस फ़िल्म के ज़रिए सिस्टम में फ़ैले करप्शन को आम जनता के बीच लाने की शानदार कोशिश की थी.
इसके डायलॉग एक्टर-निर्देशक सतीश कौशिक ने लिखे थे. इस फ़िल्म में नसीरुद्दीन शाह से लेकर पंकज कपूर तक, जितने भी कलाकार थे वो सभी बॉलीवुड में स्टगलर थे. शूटिंग के दौरान ये सभी एक्टर 24-24 घंटे तक काम करते थे.